Thursday, June 27, 2013

मजनू दीवाना..

कल रात अलगनी पर लटकते चाँद को ,
गिरने से बचा लिया उसने ,
हौले से उठा हाथों मे ,
उछाल दिया आसमां मे,
चाँद बन गया आशिक उसका ,
उसकी याद मे घटने लगा ,
पर जब देखी छाप उसकी ,
जिस्म पर अपने इठला के ,
बढ़ने लगा ...... 
कहते है तब से ,
याद मे उसकी घटता औ बढ़ता है ,मजनू दीवाना..

9 comments:

  1. सुंदर रचना , यहाँ भी पधारे

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/06/blog-post_18.html

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  2. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    कभी यहाँ भी पधारें .

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  3. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

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  4. वाह क्या बात है क्या उपमेव और उपमान का सामंजस्य बिठाया है आपने खुबसूरत

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  5. अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति । बधाई । सस्नेह

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  6. बहुत अच्छी रचना के लिए बधाई ।

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  7. मन को छूती रचना ....

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  8. बहुत सुंदर रचना
    मन को छूती हुई
    बधाई

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