Sunday, September 8, 2013

कह दो फिर से

सुनो , वो तुम ही थे न 
जो जीते - मरते थे मेरे लिए ,
कहते, जीता हूँ बस तेरे लिए ,
मेरी साँसो का हर तार जुड़ा है तुझसे ,
मेरी धड़कन का हर साज बस तेरे लिए ,
मेरी नज़रों की रोशनाई है तू ,
मेरे जीने का वजह है तू ...... 
एक बार नहीं , बार यही कहते थे ....कहते थे न ?
आज ..... 
ज़िंदा है जिस्म ,
मुर्दा गयी है रूह ,
क्यों नहीं आते तुम,
कहने वही बार - बार .......
मैं शायद जी जाऊँ ,
आ जाए कुछ जान ,
अटकी है मुट्ठी भर साँसे ,
बस तेरा ही है इंतज़ार .......
कह दो फिर से वही जो कहते थे बार - बार .......

10 comments:

  1. बहुत खूबसूरत और भाव पूर्ण

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी लेखक मंच पर आप को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपके लिए यह हिंदी लेखक मंच तैयार है। हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपका योगदान हमारे लिए "अमोल" होगा |

    मैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003

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  3. ये समय की चाल है या बेवफाई ...
    मन के जज्बात की आंधी पूछती है बार बार ...

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  4. बहुत खुबसूरत भावयुक्त रचना!!

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