Monday, January 24, 2011

dafan

सबके अपने - अपने सपने ,
सबके अपने अपने सच ,
सबकी अपनी - अपनी सीमाएँ,
सबकी अपनी - अपनी आकाक्षाएँ,
मर्यादा , सिद्धांतों , रिश्तों की कसौटी पर ,
सबका कुछ न कुछ दफ़न ...........

2 comments:

  1. आप की कवितायें पढी . बहुत ही गहरी अनुभूती है.दफ़न तो लाजवाब है. आप की कलम को सलाम.

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