Sunday, March 20, 2011

आज चाँद

अम्बर पर धीरे - धीरे सरकता चाँद ,
मेरे घर के आंगन मे आ गया ,
अंजुरी जो बनायीं हाथों की ,
तो मेरे और भी करीब आ गया ,
चांदनी में भीगे मेरे सपने ,
आँखों मे जुगनू बन चमकने लगे |
पत्तों से झरती झर - झर किरणें ,
घुलकर सांसों में बहने लगी ,
सर्द - तूफानी एकाकी  रातों मे,
तेरी चाहत की गर्माहट भरने लगी |

14 comments:

  1. पूनम जी,

    वाह.......रोमांच की दुनिया में ले गयी ये पोस्ट

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  2. सौन्दर्य वर्णन की सुन्दर अभिव्यक्ति

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  3. अति-सुन्दर रचना पूनम जी !!

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  4. "अंजुरी जो बनायीं हाथों की ,
    तो मेरे और भी करीब आ गया "

    "kash......
    ki ye sach ho pata...
    hath mein simta chaand
    bas...
    mere hath mein hi rah jata....!!"
    sundar !!

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  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
    सलाम.

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  6. krupya word verification hata dein settings mein jaakar.

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  7. कल 26/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  8. बहुत सुन्दर रचना...
    बधाई...

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  9. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  10. भावभीनी प्रस्तुति।

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  11. बेहतरीन ख़याल.... खूबसूरत रचना...
    सादर बधाई....

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