अम्बर पर धीरे - धीरे सरकता चाँद ,
मेरे घर के आंगन मे आ गया ,
अंजुरी जो बनायीं हाथों की ,
तो मेरे और भी करीब आ गया ,
चांदनी में भीगे मेरे सपने ,
आँखों मे जुगनू बन चमकने लगे |
पत्तों से झरती झर - झर किरणें ,
घुलकर सांसों में बहने लगी ,
सर्द - तूफानी एकाकी रातों मे,
तेरी चाहत की गर्माहट भरने लगी |
मेरे घर के आंगन मे आ गया ,
अंजुरी जो बनायीं हाथों की ,
तो मेरे और भी करीब आ गया ,
चांदनी में भीगे मेरे सपने ,
आँखों मे जुगनू बन चमकने लगे |
पत्तों से झरती झर - झर किरणें ,
घुलकर सांसों में बहने लगी ,
सर्द - तूफानी एकाकी रातों मे,
तेरी चाहत की गर्माहट भरने लगी |
पूनम जी,
ReplyDeleteवाह.......रोमांच की दुनिया में ले गयी ये पोस्ट
dhnyawad...
ReplyDeleteसौन्दर्य वर्णन की सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअति-सुन्दर रचना पूनम जी !!
ReplyDelete"अंजुरी जो बनायीं हाथों की ,
ReplyDeleteतो मेरे और भी करीब आ गया "
"kash......
ki ye sach ho pata...
hath mein simta chaand
bas...
mere hath mein hi rah jata....!!"
sundar !!
bahut bahut shukriya..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteसलाम.
krupya word verification hata dein settings mein jaakar.
ReplyDeleteकल 26/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
कोमल से एहसास
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteबधाई...
वाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteभावभीनी प्रस्तुति।
ReplyDeleteबेहतरीन ख़याल.... खूबसूरत रचना...
ReplyDeleteसादर बधाई....