गाल पर हाथ रख ,मुस्कुराते हुए ,
उसने कहा.......
अब तुम्हारी आदत सी हो गयी है
तो हमने भी मुस्कुरा कर यही कहा ...
न हूँ मैं सुबह की भाप उड़ाती एक प्याला चाय ,
न रबरबैंड में लिपटा बरामदे में फेंका अखबार ,
ऐसा भी तो कह सकते थे ....
अब तुम्हारा साथ अच्छा लगता है ,
बिन बात यूँ ही खिलखिलाना ,
कुछ कहते - कहते रुक जाना ,
एक साथ बोलना या ,
अचानक चुप हो जाना ,
बस एकटक देखना
क्या है जो यकायक ,
रोक देता है...
क्यों नहीं कह पाते,
मन की परतों मे है जो दबा ,
कुछ अनकहा - अनछुआ सा ,
जो हमेशा हवा में टंगा रह जाता है ,
या फिर अगली मुलाकात की ,
पृष्ठभूमि बन जाता है .....!!!!!!
उसने कहा.......
अब तुम्हारी आदत सी हो गयी है
तो हमने भी मुस्कुरा कर यही कहा ...
न हूँ मैं सुबह की भाप उड़ाती एक प्याला चाय ,
न रबरबैंड में लिपटा बरामदे में फेंका अखबार ,
ऐसा भी तो कह सकते थे ....
अब तुम्हारा साथ अच्छा लगता है ,
बिन बात यूँ ही खिलखिलाना ,
कुछ कहते - कहते रुक जाना ,
एक साथ बोलना या ,
अचानक चुप हो जाना ,
बस एकटक देखना
क्या है जो यकायक ,
रोक देता है...
क्यों नहीं कह पाते,
मन की परतों मे है जो दबा ,
कुछ अनकहा - अनछुआ सा ,
जो हमेशा हवा में टंगा रह जाता है ,
या फिर अगली मुलाकात की ,
पृष्ठभूमि बन जाता है .....!!!!!!
bahut khoob
ReplyDeleteprem me aisa hi hota hai
sundar abhivaykti
आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html
कुछ अनकहा - अनछुआ सा ,
ReplyDeleteजो हमेशा हवा में टंगा रह जाता है ,
या फिर अगली मुलाकात की ,
पृष्ठभूमि बन जाता है ....
बहुत खूबसूरत अहसास.
आपकी कलम को सलाम.
bahut bahut dhnaywad..
ReplyDeleteएक साथ बोलना या ,
ReplyDeleteअचानक चुप हो जाना ,
बस एकटक देखना
क्या है जो यकायक ,
रोक देता है...
क्यों नहीं कह पाते,
मन की परतों मे है जो दबा ,
कुछ अनकहा - अनछुआ सा ,
जो हमेशा हवा में टंगा रह जाता है ,
या फिर अगली मुलाकात की ,
पृष्ठभूमि बन जाता है .....!!!!!!
ईश्वर ये पृष्ठभूमि बनाए रखे सदा..!!
प्रेम के रस से सराबोर है ये पोस्ट........बहुत सुन्दर |
ReplyDeletebehut behut accha likha hai, ek gehera ehesaas behut sunder dhang se pesh kiya hai. itna sunder likhti rahein
ReplyDeletebahut bahut shukriya...
ReplyDeleteएक सुन्दर रचना.
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