आँगन में धूप सेंकते- सेंकते ,
अखबार के पन्ने पलटते,
गर्म चाय की चुस्कियों के साथ ,
सबके दुख - सुख बांचते
पिताजी .......!!
स्कूटर मेंबार बार कीक मारते,
हैंडल पे लटका खाने का थैला ,
पिछली सीट पे पडोसी के बच्चे को बिठा ,
बीच रस्ते में कहीं छोड़ते ,
पिताजी .....!!
बड़े रुमाल में गंडेरीयों की सौगात ,
दोनों तरफ झोलों में तरकारी और फलों की बरसात ,
मंदिर की घंटी और प्रसाद ,
धूप और कपूर की तरह ,
पिताजी ............!!
bahut sunder .............
ReplyDeleteवाह!!!!!बहुत सुंदर भाव लिए बहुत अच्छी प्रस्तुति,...
ReplyDeleteनई पोस्ट "काव्यान्जलि":
नही सुरक्षित है अस्मत, घरके अंदर हो या बाहर
अब फ़रियाद करे किससे,अपनों को भक्षक पाकर,
आपका पेस्ट अच्छा लगा । मरे अगले पोस्ट "जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आपका बेसव्री से इंतजार रहेगा । नव वर्ष की अशेष शुभकामनाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्दों में दी गयी श्रद्धांजलि |
ReplyDeletebahut sundar...!
ReplyDelete