Wednesday, April 18, 2012

तुम कहाँ खो गए ...प्राण



हथेली पे मेहँदी नहीं ,
महल सजाया था ...
तेरे संग मैने,
नया जग बसाया था ...
आँखों में काजल नहीं ,
अरमान लगाया था ,
तेरे संग जीवन का ,
रिश्ता निभाया था ....
मांग में सिंदूर नहीं ,
ख्वाब बसाया था ,
तेरे संग उम्र भर  ,
साथ का वादा निभाया था ,
मंत्रोचारण की अग्नि में ,
अपना अतीत जलाया था ...
भूल सब अपनों को कुछ 
नयों को गले लगाया था ....
मेरे क़दमों की आहट ने ,
तेरा आंगन महकाया था ,
परिक्रमा तो थी ली दोनों ने साथ,
फिर क्यों जलती हूँ मैं एकाकी ...उदास...
तुम कहाँ  खो गए ...प्राण ....मेरे प्राण....

10 comments:

  1. पूनम जी ,
    बहुत बहुत बहुत शानदार रचना ,
    एक एक लाइन बेहतरीन

    ReplyDelete
  2. हथेली पे मेहँदी नहीं ,
    महल सजाया था ...
    तेरे संग मैने,
    नया जग बसाया था ...
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

    ReplyDelete
  3. गहन संवेदना लिए एक बढ़िया पोस्ट।

    ReplyDelete
  4. परिक्रमा तो थी ली दोनों ने साथ,
    फिर क्यों जलती हूँ मैं एकाकी ...उदास

    GAHRI ANBHUTI KE SATH PRABHAVSHALI RACHANA POONAM JI ...KUCHH AISA HI MERE BLOG PR BHI ......AMANTRAN SWEEKAREN

    ReplyDelete
  5. एक नव नवेली दुल्हन का प्यार और भावना को बखूबी से दर्शाया गया है
    उम्दा प्रस्तुती

    अगर आपका मेरे ब्लॉग पर आगमन होता हैं तो ये मेरे लिए बहुत बड़ी खुशी की बात होगी... आभार

    ReplyDelete
  6. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  7. फिर क्यों जलती हूँ मैं एकाकी ...उदास...
    तुम कहाँ खो गए ...प्राण ....मेरे प्राण....
    ati sanvedanashiil rachana ,

    ReplyDelete
  8. सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  9. दुल्हन के भावो की मार्मिक प्रस्तुति

    ReplyDelete