तुम्हारे अधरों का स्पर्श ,
मंद- मंद , मृदुल ..
बालों, गालों, पलकों पर ,
कोमल , सुकुमार , सौम्य, नर्म ....
होठों को कोरों से ...
कानों की लौ तक ...
कमसिन , नाज़ुक , उदार ..
धीरे - धीरे , सहराता,
टटोलता - शनै: - शनै:......
जैसे छू रहा हो कोई ,
उँगलियों के पोरुओं से ,
शिला पर उकेरे अक्षर ,
पढ़ रहा हो एक - एक इबारत ,
पूरा इतिहास गढ़ा है जहाँ ,
औ फिर ,
मद्धिम वह चुम्बन ,
रच गए तभी ,
भविष्य तुम ...मेरा ..!!!!!
इति
कोमल भावो का सुन्दर चित्रण्।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर छटा बिखेरते शब्द :-)
ReplyDeleteबहुत सुंदर कोमल भावनाओं की भावाव्यक्ति बधाई
ReplyDeleteजबरदस्त कल्पना ... सजीव लिखा है शब्दों को ...
ReplyDeleteऔ फिर ,
ReplyDeleteमद्धिम वह चुम्बन ,
रच गए तभी ,
भविष्य तुम ...मेरा !!
उसके बाद.....
नि:शब्द....!!
खूबसूरत !!
***punam***
"bas yun...hi...
tumhare liye..."
shukriyaa.........
ReplyDeleteबहुत नाज़ुक है आपकी रचना .
ReplyDeleteबहुत संभाल कर पढ़ा है कहीं टूट न जाए.
hats off.
Bahut bahut shukriya.......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं कोमल एहसास
ReplyDeleteबधाई हो !