Wednesday, November 2, 2011

भविष्य मेरा

तुम्हारे अधरों का स्पर्श ,
मंद- मंद , मृदुल ..
बालों, गालों, पलकों पर ,
कोमल , सुकुमार , सौम्य, नर्म ....
होठों को कोरों से ...
कानों की लौ तक ...
कमसिन , नाज़ुक , उदार ..
धीरे - धीरे , सहराता,
टटोलता - शनै: - शनै:......
जैसे छू रहा हो कोई ,
उँगलियों के पोरुओं से ,
शिला पर उकेरे अक्षर ,
पढ़ रहा हो एक - एक इबारत ,
पूरा इतिहास गढ़ा है जहाँ ,
औ फिर ,
मद्धिम वह चुम्बन ,
रच गए तभी ,
भविष्य तुम ...मेरा ..!!!!! 
इति

9 comments:

  1. कोमल भावो का सुन्दर चित्रण्।

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  2. बहुत सुन्दर छटा बिखेरते शब्द :-)

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  3. बहुत सुंदर कोमल भावनाओं की भावाव्यक्ति बधाई

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  4. जबरदस्त कल्पना ... सजीव लिखा है शब्दों को ...

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  5. औ फिर ,
    मद्धिम वह चुम्बन ,
    रच गए तभी ,
    भविष्य तुम ...मेरा !!

    उसके बाद.....
    नि:शब्द....!!
    खूबसूरत !!

    ***punam***

    "bas yun...hi...
    tumhare liye..."

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  6. बहुत नाज़ुक है आपकी रचना .
    बहुत संभाल कर पढ़ा है कहीं टूट न जाए.

    hats off.

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  7. बहुत सुन्दर एवं कोमल एहसास
    बधाई हो !

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