कुछ याद रहा कुछ भूल गयी
तेरे आने की खबर सुन ,
क्रोध - मान - तर्क - बहस
कुछ याद रहा ,कुछ भूल गयी |
तेरे इंतजार के पल समेटते
हँसना- रोना , सोना - जागना ,
कुछ याद रहा , कुछ भूल गयी |
तेरे कदमों की आहट सुन ,
सुध - बुध अपनी बिसरा कर ,
कुछ याद रहा , कुछ भूल गयी |
तेरे लबों की जुम्बिश देख ,
कही - अनकही - तेरा - मेरा ,
कुछ याद रहा , कुछ भूल गयी |
तेरी आँखों मे लबलबाता समन्दर देख ,
डूबती - तैरती - थिरकती - इठलाती ,
कुछ याद रहा कुछ भूल गयी |
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,पूनम जी,..बहुत खूब...वाह,
ReplyDeletewelcome to new post ...काव्यान्जलि....
खुशी में यही होता, सुंदर रचना!
ReplyDeleteपूनम जी बहुत ही सुन्दर कविता
ReplyDeletetere aane kee khabar hee kaafi thee
ReplyDeletejo bhoolnaa chaahiye thaa wo bhool gayaa
jo yaad rakhnaa thaa wo yaad rahaa
sundar kavitaa
याद रखने योग्य याद कर लिया जाना चाहिए और भूल जाने योग्य भूल जाना.....सुन्दर रचना|
ReplyDeletebhavatirek.....
ReplyDeleteवाह बहुत खूब ...
ReplyDeleteपर कुछ यादे और बाते हमेशा अपने साथ रखना
संवेदनशील रचना अभिवयक्ति......सुन्दर रचना|
ReplyDeletenice poem..
ReplyDeletehttp://ayodhyaprasad.blogspot.in/
सुन्दर रचना|
ReplyDeleteखूबसूरत कविता !
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