Saturday, February 11, 2012

beti ki pukaar.....

मत मार , मत मार , माँ मुझे मत मार ,
मैं तो  हूँ तेरा ही प्राण ,
फिर तू कैसे हो गयी इतनी कठोर , निष्प्राण ?

तुझे मार कर , कर रही हूँ  अपना और तेरा उद्धार ,
आज भी इस समाज में तेरा जीना है दुष्वार |
आज भी तेरे लिए है अग्नि परीक्षा ,
आज भी भरी सभा में है अपमान ,
किसी का कलंक तेरे लिए है श्राप |

पर जो यह सब नारे हैं -----
"बेटी कुदरत का उपहार है , न करो इसका तिरस्कार  "

यह सब बेमानी हैं , अखबारों और पत्रिका में छापे जाते  हैं ,
गावों- शहरों की दीवारों पर लिपे जाते हैं |
नेताओं के मुहं से बोले जाते हैं |
सच तो यह है ----

आज भी तू कोड़ियों के दाम बिकती है ,
दहेज की बलिदेवी पर चढ़ती है ,
रंग - रूप के आधार  पर छनती है,
खुले आम बाज़ारों मे सजती है ,
बदले के लिए तू ही है सस्ता शिकार ,
इसलिए हर ब़ार तुझ पर ही होता है वार |

माँ हूँ तेरी , नहीं सह सकती यह अत्याचार ,
इसलिए आज तेरे उदगम स्थल पर ही  ,
करती हूँ मैं तेरा बहिष्कार ||

इति ............

11 comments:

  1. नारी व्यथा, हताशा और कुंठा का मार्मिक चित्रण ! कब इस पीड़ा को जानेगा ये ढोंगी पुरूष और समाज?

    ReplyDelete
  2. नारी व्यथा, हताशा और कुंठा का मार्मिक चित्रण ! कब इस पीड़ा को जानेगा ये ढोंगी पुरूष और समाज?

    ReplyDelete
  3. कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .......

    ReplyDelete
  4. समय के साथ संवाद करती हुई आपकी यह प्रस्तुति बहुत ही अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "भीष्म साहनी" पर आपका बेशब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  5. बेटी की पुकार को मार्मिक शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त किया है आपने ..!

    ReplyDelete
  6. दिल को छू गयी...

    सार्थक लेखन पूनम जी..
    बधाई.

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर और सार्थक पोस्ट।

    ReplyDelete
  8. Samaj ki maili soch par marmik prastuti

    ReplyDelete
  9. सामाजिक अवहेलनाओं का अचूक दर्पण !!!

    http://relyrics.blogspot.in/2012/02/valentine.html

    ReplyDelete
  10. माँ हूँ तेरी , नहीं सह सकती यह अत्याचार ,
    इसलिए आज तेरे उदगम स्थल पर ही ,
    करती हूँ मैं तेरा बहिष्कार ||
    dukhad lekin haquiqat yahi hai.

    ReplyDelete
  11. kabhi yah kavita mujhe sochne par aur kabhi beti ke mahtav ko samjhne ke liye mazboor kar dete hain.

    ReplyDelete